गुरु ग्रह 14 मई की रात में वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे। इसके साथ ही गुरु अतिचारी गति भी शुरू करेंगे। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि गुरु की अतिचारी गति का क्या मतलब है।

गुरु ग्रह 14 मई की रात में मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे। गुरु लगभग एक साल में राशि परिवर्तन करते हैं, लेकिन 2025 में 5-6 महीनों के बाद ही गुरु राशि परिवर्तन कर देंगे। गुरु अक्तूबर के महीने में कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे। इसके बाद दिसंबर में वक्री चाल चलते हुए वापस मिथुन में आ जाएंगे। ऐसी स्थिति बहुत कम ही बनती है। जब भी गुरु सामान्य गति से तेज चलने लगते हैं तो उनकी गति को अतिचारी गति कहा जाता है। आज हम आपको गुरु की अतिचारी गति और इसके प्रभाव के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
गुरु की अतिचारी गति
गुरु ग्रह 14 मई को मिथुन राशि में गोचर करने के बाद अतिचारी गति शुरू कर देंगे। 2032 तक गुरु अतिचारी गति में ही रहेंगे। ज्योतिष में गुरु की अतिचारी गति का अर्थ है कि गुरु सामान्य से तेज गति से संचार करने लगते हैं। वहीं विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो गुरु की गति में परिवर्तन नहीं आता लेकिन उसकी खगोलीय स्थिति ऐसी होती है कि हमें तीव्र गति से चलते गुरु दिखते हैं। गुरु की अतिचारी गति का प्रभाव क्या होता है आइए अब इसके बारे में जानते हैं।
अतिचारी गुरु का प्रभाव
गुरु को ज्योतिष में शुभ ग्रह माना जाता है और ये सुख-वैभव, करियर, विवाह, ज्ञान, व्यापार आदि के कारक माने जाते हैं। गुरु की अतिचारी गति को ज्योतिष में अच्छा नहीं माना जाता। ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार गुरु की अतिचारी गति के कारण देश-दुनिया में गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं। युद्ध के हालात बन सकते हैं, साथ ही आमजन को भी बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि गुरु के अतिचारी गति के दौरान कुछ लोगों को अच्छे परिणाम मिलने की बात को भी नकारा नहीं जा सकता। जिन लोगों की कुंडली में गुरु शुभ स्थिति में होते हैं या बलवान और कारक होते हैं, उन्हें अच्छे परिणाम भी गुरु की अतिचारी गति के चलते मिल सकते हैं।
बड़े युद्ध के दौरान गुरु की अतिचारी गति
ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार, जब महाभारत का युद्ध लड़ा गया था तब भी गुरु अतिचारी गति कर रहे थे। इसके साथ ही दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी गुरु अतिचारी गति में ही थे। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि अतिचारी गति में गुरु देश-दुनिया में अशांति का कारण बन सकते हैं। दुनिया के कई देशों के बीच संघर्ष इस दौरान पैदा हो सकते हैं। 2032 तक गुरु अतिचारी गति में ही रहेंगे इसलिए आने वाला समय में भी गंभीर स्थितियां पैदा होने की संभावना है।