अमृत भारत योजना के तहत कानपुर के पनकी धाम गोविंदपुरी अनवरगंज और कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है। पनकी धाम स्टेशन पर मंदिर जैसे गुंबद होंगे जबकि अनवरगंज स्टेशन को भारतीय शैली में बनाया जाएगा। गोविंदपुरी स्टेशन को म्यूरल पेंटिंग से सजाया गया है। सेंट्रल स्टेशन पर कई आधुनिक सुविधाएं होंगी जिससे यात्रियों को एयरपोर्ट जैसा अनुभव मिलेगा।

कानपुर। दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर जब यात्री पनकी धाम, गोविंदपुरी और कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर निकट भविष्य में उतरेंगे तो उन्हें कुछ अलग ही अंदाज दिखाई पड़ेंगे। ऐसे ही कानपुर-कासगंज रेलमार्ग के अनवरगंज स्टेशन पर भी अंग्रेजों की गुलामी के निशान खत्म होंगे।पीएम मोदी और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव की परिकल्पना के आधार पर अमृत भारत योजना के तहत पुनर्विकसित किए जा रहे इन रेलवे स्टेशनों में से पनकी में पनकी धाम यानी हनुमान मंदिर जैसे गुंबद की छाप नजर आएगी।अनवरगंज में अंग्रेजों के जमाने में निर्मित 129 साल पुराने भवन के स्थान पर भारतीय शैली में आधुनिक निर्माण से गुलामी के निशान हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे। अंग्रेजों ने इस स्टेशन का निर्माण 1866 में कराया था। इसके बाद पहली बार स्टेशन का ठीक ढंग से पुनर्विकास कराया जा रहा है। ऐसे ही सेंट्रल में भी बदलाव दिखाई पड़ेंगे।
गोविंदपुरी स्टेशन नई छटा के साथ यात्रियों का स्वागत कर रहा है। यहां पर म्यूरल पेंटिंग कराई गई है। इसकी मनोहारी छटा हर किसी का मन मोह रही है।

विरासत और पौराणिक पहचान संजोने की गरज से देश भर में अमृत भारत स्टेशनों का निर्माण कराया जा रहा है। इनमें से 103 स्टेशनों का 22 मई को पीएम मोदी ने राजस्थान के बीकानेर से वर्चुअल तौर पर लोकार्पण किया। इनमें उत्तर मध्य रेलवे का पहला पिंक (महिला) स्टेशन गोविंदपुरी भी शामिल है। इसका संचालन 2018 से महिलाएं कर रही हैं। इसमें म्यूरल पेंटिंग से श्रीकृष्ण, मोर पंख, राधा-कृष्ण, मीराबाई के चित्र बनाए गए हैं, जो सनातन के गर्व का अहसास करा रही हैं।म्यूरल पेंटिंग अर्थात भित्ति चित्रकला दीवार, छत या किसी अन्य स्थायी सतह पर सीधे चित्र उकेर कर की जाती है। इसके माध्यम से इतिहास, संस्कृति व कला की अभिव्यक्ति सशक्त तरीके से होती है। ये सबसे पुरानी चित्रकला है। इसका उपयोग पुराने समय में राजाओं के महलों में खूब होता रहा है।गोविंदपुरी स्टेशन राजाओं के महलों जैसा ही अहसास यात्रियों को कराएगा। ऐसे ही पनकी धाम रेलवे स्टेशन पर भी चित्रकारी के साथ मंदिर जैसा गुंबद बनाया जाएगा। इसकी दीवारों से लेकर अंदरूनी सतह तक की पोताई भगवा रंग में होगी। इसी तरह अनवरगंज व कानपुर सेंट्रल पर भी काम चल रहा है। पनकी, अनवरगंज व सेंट्रल का लोकार्पण काम पूरा होने के बाद किया जाएगा। इससे ब्रिटिशकाल के तमाम निशान खत्म हो जाएंगे।
पहले जूही, वही अब गोविंदपुरी
ब्रिटिशकाल में जूही के नाम से वर्ष 1921 में रेलवे स्टेशन निर्मित कराया गया। यही बाद में गोविंदपुरी स्टेशन बना। 25.50 करोड़ रुपये से इसका पुनर्विकास कराया गया। केवल 15 माह में काम पूरा हो गया। इस रेलवे स्टेशन पर एक्जीक्यूटिव लाउंज, अत्याधुनिक प्रतीक्षालय, टिकट काउंटर, प्लेटफार्म, भवन, परिसर, पैदल पुल, शौचालय से लेकर अन्य आधुनिक यात्री सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। 104 साल के सफर में इसका दो बार कायाकल्प हुआ। पहली बार 2016 व अब 2024 से 2025 के बीच अमृत भारत योजना के तहत काम कराए गए।
सेंट्रल पर सहेजी विरासत, एयरपोर्ट जैसा अहसास
कानपुर सेंट्रल पर कैंट छोर के भवन को विरासत के तौर पर सहेजा गया है। इसपर पहलगाम आतंकी घटना के बाद पाक परस्त आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेनाओं के शौर्य को दिखाने के लिए तिरंगे रंग से लाइटिंग की गई है। हर दिन यात्री इसे देखकर गर्व से सीना चौड़ा कर रहे हैं।पुनर्विकास में यहां पर घंटाघर चौराहा से सीधे पोर्टिको तक पहुंचने के लिए रिजर्व कारिडोर बनाया जा रहा है। सिटी साइड में आधुनिक होटल होगा। इसके साथ शापिंग कांप्लेक्स बनेगा। 250 वाहनों की रिजर्व पार्किंग होगी। पार्किंग भविष्य में एयरपोर्ट जैसी होगी।फूड कोर्ट, फूड प्लाजा, ग्रीन एनर्जी वातावरण का भवन बनेगा। एयरपोर्ट जैसे ही अलग-अलग प्रवेश व निकास द्वार होंगे। ऐसे ही अनवरगंज में स्वचलित सीढि़यों समेत आधुनिक यात्री सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में काम हो रहा है। कानपुर सेंट्रल के निदेशक, आशुतोष सिंह ने बताया
पनकी धाम में मंदिर की छाप के साथ ही कानपुर सेंट्रल, गोविंदपुरी व अनवरगंज में म्यूरल पेंटिंस यात्रियों के लिए आकर्षण होगी। अत्याधुनिक यात्री सुविधाओं के साथ विरासत व पौराणिक चिह्न इनमें दिखाई पड़ेंगे।