संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पाकिस्तान से तनाव के बीच शक्ति और विश्व कल्याण को लेकर बड़ा बयान दिया है। भागवत ने कहा कि विश्व कल्याण ही हमारा धर्म है विश्व को धर्म सिखाना ही भारत का कर्तव्य है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि अगर शक्ति होगी तो दुनिया प्रेम की भाषा भी सुनेगी। उन्होंने अपने भाषण में भगवान राम से लेकर भामाशाह जैसे महान व्यक्तित्वों के त्याग और सेवा को उदाहरण के जरिए समझाया। भागवत ने कहा कि विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है। धर्म के जरिए ही मानवता की उन्नति संभव है। उन्होंने हिंदू धर्म की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा कि विश्व कल्याण हमारा प्रमुख धर्म है। उन्होंने भारत को दुनिया का सबसे प्राचीन देश बताया और कहा कि भारत आज पूरी दुनिया में बड़े भाई की भूमिका में है।
भारत किसी से द्वेष नहीं रखता
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि भारत विश्व में शांति और सौहार्द के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि भारत किसी से द्वेष नहीं रखता लेकिन जब आपके पास शक्ति नहीं होगी तो विश्व को प्रेम और मंगल की भाषा नहीं समझाई जा सकती। ऐसे में विश्व कल्याण के लिए शक्ति आवश्यक है और हमारी ये ताकत विश्व ने देखी है।
संत कर रहे धर्म की रक्षा
भागवत ने आगे बताया कि शक्ति ही वह जरिया है जिससे विश्व में भारत अपनी बात प्रभावी ढंग से कह सकता है। इसके साथ ही सांस्कृतिक विरासत का प्रचार भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह विश्व का स्वभाव है इसे बदला नहीं जा सकता। इसके साथ ही उन्होंने संत समाज की भूमिका की भी तारीफ की। भागवत ने कहा कि संत ऋषि परंपरा का निर्वहन करते हुए धर्म की रक्षा कर रहे हैं।
संघ के कई प्रचारक रहे मौजूद
बता दें कि संघ प्रमुख जयपुर के हरमाडा स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। सम्मान समारोह के बाद उन्होंने लोगों को संबोधित किया। भागवत ने रविनाथ महाराज के साथ बिताए अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनकी करुणा से ही जीवन में अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलती है। कार्यक्रम में भावनाथ महाराज ने मोहन भागवत को सम्मानित किया। इस दौरान बड़ी संख्या में संघ के प्रचारक भी मौजूद थे।