यूट्यूब से डिजिटल अरेस्ट करना सीखकर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। कानपुर में ईपीएफओ से सेवानिवृत्त मुख्य लिपिक विनोद कुमार झा को डिजिटल अरेस्ट कर 82.30 लाख रुपये ठगने वाले तीन आरोपियों को साइबर टीम ने अलीगढ़ से गिरफ्तार किया है। गिरोह का मास्टरमाइंड यूट्यूबर और गेमर है। गिरोह पांच सालों में 10 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से सेवानिवृत्त मुख्य लिपिक विनोद कुमार झा को डिजिटल अरेस्ट कर 82.30 लाख ठगने वाले तीन आरोपियों को साइबर टीम ने अलीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया।
गिरोह का मास्टरमाइंड यूट्यूबर व गेमर है। उसने यूट्यूब से डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगी का तरीका सीखा और दो दोस्तों को सिखाया। गिरोह के पास से ठगी की रकम में से 7.70 लाख रुपये व चार मोबाइल बरामद हुए।
ये गिरोह पांच सालों में 10 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है। गिरोह ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर व कम पढ़े-लिखे लोगों को लालच देकर उनके नाम से खाते खुलवा ठगी की रकम मंगवाते थे। ऐसे 20 बैंक खातों की जानकारी मिली है।
यह है पूरा मामला
पनकी निवासी विनोद कुमार झा के मोबाइल फोन पर 17 फरवरी को एक काल आई थी। ठगों ने उन्हें मनीलांड्रिंग केस में शामिल होने की बात कहकर करीब 47 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर अलग-अलग खातों में 82.30 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए थे। डीसीपी क्राइम एसएम कासिम ने बताया कि जांच की में पता चला कि ठगे गए 82.30 लाख रुपये नई दिल्ली में आरबीएल बैंक, असम के फेडरल बैंक और गुवाहाटी के पीएनबी में ट्रांसफर किए थे। तीनों खातों को फ्रीज कराया गया।
आरबीएल की खाताधारक महिला निकली, लेकिन खाते में जो नंबर दर्ज था, वह अलीगढ़ के खैर रंजीतगढ़ी खेरिया बुजुर्ग निवासी रौबी कुमार के पास था। साइबर टीम ने उसे अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र से बुधवार देर रात पकड़ा। इसके बाद, वहीं जितेन्द्र कुमार और रविन्द्र सिंह को भी गिरफ्तार किया। गिरोह का सरगना रौबी निकला। नई दिल्ली में जिस महिला के नाम से खाता खुलवाया था, उसे एक लाख आने पर 20 हजार रुपये दिए जाते थे। मामले में महिला को भी आरोपी बनाया है। उसके खाते में 19.50 लाख रुपये आए थे। वह महिला रुपये निकालने बैंक भी पहुंची थी।