एक हफ्ते में 14 लाख गायब, SBI के अधिकारी ग्राहकों के खाते से चुपके से निकाल रहे पैसे! खुल गई पोल

कानपुर में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक अधिकारी को निष्क्रिय खातों को सक्रिय करके उनमें से पैसे निकालने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। यह मामला SBI की सिविल लाइंस शाखा का है जहां एक खाते से लगभग 14 लाख रुपये निकाले गए। बैंक प्रबंधन ने इस घटना के बाद निष्क्रिय खातों की जांच शुरू कर दी है।

कानपुर। भारतीय स्टेट बैंक में वर्षों से निष्क्रिय खातों को सक्रिय कर उसमें पड़ी रकम निकाल लेने का मामला पकड़ में आया है। षड़यंत्र रचने वाले एक बैंक अधिकारी को निलंबित भी किया गया है। इससे पहले भी एक अधिकारी ने खाताधारक के निधन की वजह से निष्क्रिय हो चुके खाते को सक्रिय कर उसमें से रुपये निकाल लिए गए थे, वह भी निलंबित कर दिए गए थे।

निष्क्रिय खातों को सक्रिय कर बैंक के अधिकारियों द्वारा ही रुपये निकाल लेने के मामलों को देख प्रबंधन ने उन खातों की गोपनीय जांच शुरू करा दी जो निष्क्रिय से सक्रिय होने के तुरंत बाद खाली कर दिए गए।

क्या है मामला? 

स्टेट बैंक के मुख्यालय सिविल लाइंस स्थित शाखा में शिरोमणि यादव का बैठक खाता 2006 से था। 2019 से इस खाते में लेनदेन बंद हो गया तो नियमानुसार बैंक ने दो वर्ष तक कोई लेनदेन न होने की वजह से खाते को निष्क्रिय घोषित कर दिया। बैंक की शाखा में ही तैनात एक अधिकारी को इसकी जानकारी थी कि यह खाता निष्क्रिय है और उसमें 14,66,168 रुपये जमा हैं।

उस अधिकारी ने इस खाते को 25 मार्च 205 को इस खाते को सक्रिय किया। इसके बाद उसी दिन 500 रुपये निकाल कर एक टेस्ट किया गया कि कोई पकड़ तो नहीं रहा है। हौसला बढ़ा तो दो अप्रैल को बर्रा विश्व बैंक की शाखा से पांच लाख रुपये निकाले। इसके बाद चार अप्रैल को फिर उसी शाखा से पांच लाख रुपये निकाल लिए। नौ अप्रैल को फिर 4.60 निकालने का प्रयास किया गया।

एक सप्ताह में पूरा खाता खाली होने पर आया अलर्ट

एक सप्ताह में ही पूरा खाता खाली होने की वजह से सिस्टम ने अलर्ट किया तो शाखा में मौजूद अधिकारी ने उस चेक का भुगतान रोक दिया और उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी। मामला पकड़ में आने पर फ्राड कर रहे अधिकारी ने 11 अप्रैल को पांच लाख रुपये बर्रा विश्वबैंक शाखा के जरिए और पांच लाख रुपये सिविल लाइंस शाखा में उसी खाते में वापस नकद के रूप में जमा करा दिए। खाते में दोबारा 14,66,168 रुपये होने पर अधिकारी भी शांत हो गए।

इस खबर की जानकारी हुई पर जिन चेक से भुगतान हुआ था, उनके नंबर के साथ मामला लिखा। इसके बाद जांच शुरू हुई तो अधिकारियों ने माना कि वे ग्राहक से कोई संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। खाते में उनका पता सिविल लाइंस दिखाया गया था लेकिन जो चक नंबर दिया था वह शास्त्री नगर का था।चक नंबर के बाद जो मकान नंबर दिया गया था, वह शास्त्री नगर में भी नहीं था। साथ ही खाताधारक का जो फोन नंबर है, वह अस्थायी रूप से बंद है। इसके बाद प्रबंधन ने उस अधिकारी को निलंबित कर दिया। खुद डीजीएम राजीव रावत ने कहा कि अधिकारी ग्राहक से संपर्क नहीं कर पाएं हैं। पते के संबंध में उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पता गलत हो। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच हो रही है।

पहले भी हुई इस तरह की घटना

इससे पहले बिरहाना रोड शाखा के एक खाते में इस तरह की घटना हुई थी। खाताधारक का निधन हो चुका था और लेनदेन न होने की वजह से खाता निष्क्रिय हो चुका था। उसी शाखा में तैनात एक अधिकारी की नजर खाते पर थी। उस अधिकारी का तबादला दूसरी शाखा में हुआ तो नियमों का उल्लंघन करते हुए उसने उस खाते को सक्रिय कराया और अपनी नई शाखा में स्थानांतरित करा लिया।वहां चेक बुक जारी कराई गई। साथ ही कुछ ही दिनों में करीब 20 लाख रुपये निकाल लिए गए। कुछ समय बाद खाताधारक के स्वजन बिरहाना रोड शाखा पहुंचे और खाते के बारे में पूछा तो बताया गया कि वह खाता तो दूसरी शाखा में स्थानांतरित करा लिया गया है।स्वजनों ने बताया कि खाताधारक का तो निधन हो चुका है, वह खाता दूसरी शाखा में कैसे स्थानांतरित करा सकता है। इस पर खाते की जांच हुई तो पाया गया कि उससे नियमित रूप से रुपये निकाले जा रहे हैं। मामले की जांच हुई तो उस अधिकारी को पकड़ा गया क्योंकि भुगतान करने वाले ने हर चेक पर उसका नाम लिख दिया था कि उनके कहने पर भुगतान दिया गया। वह अधिकारी अब भी निलंबित है।निष्क्रिय खातों को सक्रिय कर रुपये निकालने के मामलों को देखते हुए अब बैंक ने उन खातों की जांच शुरू कर दी है जो निष्क्रिय से सक्रिय किए गए और फिर उनकी पूरी रकम निकाल ली गई। इस आंतरिक जांच पर हालांकि कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।

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