लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी (आर्मी सिग्नल कोर) एक्सरसाइज फोर्स 18 नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं जो भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है। उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में काम किया। उनका काम संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना था।

नई दिल्ली। भारतीय सेना में महिला सैन्य अफसरों के लिए स्थायी कमीशन को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में कर्नल सोफिया कुरैशी की जमकर तारीफ की थी। कुरैशी उन दो महिला सैन्य अफसरों में शामिल हैं जिन्होंने ‘आपरेशन सिंदूर’ के बारे में राष्ट्र को संबोधित किया था।
17 फरवरी, 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने वाले अपने ऐतिहासिक फैसले (सचिव, रक्षा मंत्रालय बनाम बबीता पुनिया और अन्य) में कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों को विशेष रूप से स्वीकार किया था।
केंद्र सरकार के इस तर्क को खारिज करते हुए कि महिला अधिकारी स्थायी कमीशन के लिए अनुपयुक्त हैं। न्यायालय ने कई महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों की अनुकरणीय सेवा पर प्रकाश डाला। बारह नामों में कुरैशी का नाम सबसे पहले लिया गया।
‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ को लीड करने वाली सोफिया पहली महिला
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी (आर्मी सिग्नल कोर) ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं, जो भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है। उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में काम किया। उनका काम संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना था।
गुजरात की बेटी सोफिया के पराक्रम पर सबको गर्व
पाकिस्तान में आतंकी अड्डों को नष्ट करने वाली भारतीय सेना के आपरेशन सिंदूर का चेहरा बनी गुजरात मूल की कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता व दादा भी सेना में रह चुके हैं। उनके माता-पिता ने बेटी पराक्रम पर गर्व जताते हुए कहा कि उसने देश के लिए कुछ किया है। बचपन में सोफिया सेना के पराक्रम की कहानी सुना करती थी, आज खुद पराक्रम कर दिया।
उन्होंने कहा पाकिस्तान गंदा देश है उसका नाम भी लेना पसंद नहीं। भारत को एक अच्छा प्रधानमंत्री मिला है, भारत जल्दी ही पीओजेके भी वापस लेगा।सोफिया के पिता ताजुद्दीन कुरैशी का कहना है कि पढ़ाई के दौरान ही एक दिन सोफिया ने कहा कि सेना में अभी हमारे परिवार से कोई नहीं है तो क्यों नहीं मैं शामिल हो जाऊं।सोफिया की बहन सायना नेशनल कैडेट कोर एनसीसी में फायरिंग गोल्ड मेडलिस्ट हैं तथा वजन कम होने के कारण वह सेना में नहीं जा सकीं, लेकिन सोफिया का चयन हो गया। पिता कहते हैं, भारत सरकार ने बेटी को एक शानदार मौका दिया, हमारा मकसद पूरा हुआ। बेटी ने देश के लिए कुछ किया, अब गुलाम जम्मू-कश्मीर को भी वापस लाना है। देश को नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिला, ऐसा नेता और कहां मिलता है।
पाकिस्तान एक गंदा देश है: सोफिया के पिता
ताज कहते हैं कि हमारा दुश्मन एक गंदा देश है उसका नाम लेना भी ठीक नहीं है। भारत ने उसके खिलाफ जो एक्शन लिया वह उसी के लायक है। मां अलीमा का कहना है कि बेटा हो या बेटी दोनों समान होते हैं, बेटी के पराक्रम से सिर गर्व से ऊंचा हो गया। सोफिया को पिता सेना के पराक्रम की कहानियां सुनाया करते थे आज सोफिया ने खुद एक महान पराक्रम कर बताया।सोफिया का बेटा समीर वायुसेना में भर्ती की तैयारी कर रहा है, वहीं भतीजी सायरा भी सेना में शामिल होना चाहती है। कर्नल सोफिया की कक्षा पहली से तीसरी तक पढ़ाई मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड स्थित छतरपुर जिले के नौगांव में हुई। उनके ममेरे भाई बंटी सुलेमान आज भी उसी घर में रहते हैं, जहां सोफिया का बचपन बीता। बाद में कर्नल सोफिया की स्कूली शिक्षा वडोदरा के केंद्रीय विद्यालय में हुई, उसके बाद उन्होंने एमएस विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक कर बायोकेमिस्ट्री में स्नात्तकोत्तर किया और पीएचडी में प्रवेश लिया।
वर्ष 1999 में मौका मिला तो पीएचडी अधूरी छोड़ शार्ट सर्विस कमीशन के जरिए सेना में भर्ती हो गईं। जब वह एकेडमी में आईं तो कारगिल युद्ध चल रहा था। 2006 में वह कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के अभियान में शामिल हो चुकी हैं। वर्ष 2016 में उन्होंने बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भी हिस्सा लिया। आसियान सैन्य दस्ते में वह अकेली महिला अफसर थीं।